सोचा तू है एक उदासी या किसी की अधूरी ग़ज़ल,
या मेरी ही तन्हाई का महज़ एक रुक हुआ पल.
शर्मीला हो गया चाँद, बुरखे मैं बाहें अब बादल,
दर्द इश्क मै देखा इतना , जितना विधवा की पलकों का बहता काजल.
सुनाई कविता किसी तारे ने चांदनी को, हो गयी वो उसकी कायल,
चाँद भी हो गया जब अकेला , बेदर्द दर्द भी हुआ तब घायल.
रातों मै बिछ गयी रुसवाई , जब दिलों मै आई बेवफाई,
इश्क चाँद से ही था चांदनी को , जाने क्यूँ लफ़्ज़ों मै न कह पाई.
अश्क बहते हैं आज तक उसके,हम कहते उन्हें चाँद के दाग,
इश्क हुआ था सदियों पहेले उसे, लगी है आज तक एक आग.
सदियों तक बहें उसकी पलकें , भर गए सात समंदर,
खोयी वही चांदनी है तू, इस चाँद सा मेरा दिल का मंज़र
Mashallah!! Loved the flow of words.. beautifully woven together :)
ReplyDeleteThank you so much :)
DeleteI am speechless ..loved every line..just woww :)
ReplyDeleteThank you so much :)
Deleteabhi tak ki sab posts se alag hai ye kavita, baki sab ehsas k bare main thi or ye dard pe, jitni sunder wo sab thi, utni he unda ye...
ReplyDelete:)
itni tareef ke liye shukriya :)
DeleteI am awestruck!! (h) I love the 2nd, 3rd ,4th lines the best ..
ReplyDeleteThank you so much :)
DeleteWah, bahut khoob. Aap hindi mein bhi kaafi accha likhte hai :)
ReplyDeletedhanyabaad .. :) .. ha kavi kavi bas kuch likh leta hu :)
DeleteWah.. Bahuth sundar :)
ReplyDeleteshukriya :)
DeleteAnkur, Ati Sundar! Love your choice of words :)
ReplyDeleteoh ho... toh woh chand ke ashk hai... aur hum daag samajh rahe they....wah wah!!
ReplyDeletescientifically to nai :d bas is kavita ke liye hai .. dhanyabaad padhne ke liye :)
DeleteMashaallah ! (h)
ReplyDeleteToo good. Just loved reading it. Thank u for the share. Keep posting. (o)
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