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न जाने क्यू
यादो मे तेरे चेहरे की परछाई आज भी है
ख़ामोशी मे तेरे आवाज की गुनगुनाहट आज भी है
न जाने क्यू
तन्हाई मे तेरे धडकनों की आहात आज भी है
तेरे साथ दो कदम चलने की चाहत आज भी है
न जाने क्यू
हर लम्हे तेरी एक झलक की बेताबी आज भी है
पलकों को तेरे ही तसवुर की आदत आज भी है
न जाने क्यू
तेरे साँसों मे सिमट जाने की ख्वाइश आज भी है
हर पल तुझे दिल तोड़ जाने की इजाजत आज भी है
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