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काश..ऐसा..कुछ..!





काश मै ऐसा कुछ लिख पाता
जो तेरे अश्कों को मोतियों मै बदल पाता
काश फिर सारी रात तेरी पलकें देखता
और सब कुछ भुला देता

काश रूठ जाती मुझसे तू,
फिर लफ़्ज़ों से तुझे मना पाता
काश कसक लफ्जों से तेरे
लबों को अपने लबों से मिला पाता


काश तेरी उदासी मे इन्द्रधनुष के रंग

मै तेरी तस्वीर मे भर पाता
काश अपने शब्दों से संग
तेरे लिए सावन हल्का सा ला पाता

काश अल्फाजों की चांदनी

से तेरे जुल्फों के बादल हटा पाता
काश चार पंक्तियाँ लिखता
और तुझको मैं खुद मे समां पाता


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